Holi Ki Shubhkamnaye
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अनेक रंग है इस पर्व के, अनेक रंग समेटे है येत्योहार है ये रंगों का, अनेक रंग समेटे है ये
पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते है,बैर और दुश्मनी के दंभ सारे धुलते हैं,बहता है रंग जो चहुं ओरमित्रता के संगत बनते हैं
पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते है,प्रीत की रीत के परिणय बनते हैं,होती है मादकता हर ओरप्रेम के मधुर पग बढ़ते हैं
पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते हैं,जीवन पे पसरी नीरसता मिटती है,होती है प्रसन्नता सभी ओरनयी उमंग में सब संग बढ़ते है
अनेक रंग है इस पर्व के, अनेक रंग समेटे है येत्योहार है ये रंगों का, अनेक रंग समेटे है ये
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